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लगे जैसे बंजर सी, जिंदगी में सब कुछ पाया, सिर्फ त


लगे जैसे बंजर सी,
जिंदगी में सब कुछ पाया,
सिर्फ तुम्हारे अलावा,
एक मायूसी छाई रहती है,
सुबह शाम मेरे ज़हन में,
ना कोई दवा ना कोई मरहम,
मुकम्मल हुआ मेरी तन्हाई का,
अब तो बस काट रहा हूं,. 
यह जिंदगी तेरी, 
भूली बिसरी यादों के सहारे। 

 OPEN FOR COLLAB✨ #ATतुम्हारेबिनामेरीज़िन्दगी
• A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ 

Collab with your soulful words.✨ 

• Must use hashtag: #aestheticthoughts 

• Please maintain the aesthetics.

लगे जैसे बंजर सी,
जिंदगी में सब कुछ पाया,
सिर्फ तुम्हारे अलावा,
एक मायूसी छाई रहती है,
सुबह शाम मेरे ज़हन में,
ना कोई दवा ना कोई मरहम,
मुकम्मल हुआ मेरी तन्हाई का,
अब तो बस काट रहा हूं,. 
यह जिंदगी तेरी, 
भूली बिसरी यादों के सहारे। 

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