इश्क के बाजार में हम कुछ इस कदर मात खाये हे जिन्हें हम ने अपना समझा वो तो पहले से ही पराये हैं आज एक ऐसा राज सामने आया हैं एक महबूबा हजारो से यारी निभते पाया हैं पर इस बार कुछ खास था उस हजारो की भीड़ में हमारा भी शबाब था दिल और चैन दोनों ही गवा बैठे हैं धुँए की गिरफ्त में खुद को छुपाये बैठे हैं # धारा कसाना गुर्जर