आज थोड़े सी फ़ुर्सत लिये बैठीं हूँ आंखों में कुछ बातों को छुपाये लिए बैठीं हूँ ऐसे जैसे कोई नज्म भरे एहसास होंठों पे सजाये लिए बैठीं हूँ बातें अनेक है मगर जुबां खामोश लिए बैठीं हैं खामोशी