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ज़िंदगी दिसंबर सी जिंदगी दिसंबर सी धीरे धीरे ढल रही

ज़िंदगी दिसंबर सी जिंदगी दिसंबर सी धीरे धीरे ढल रही है
 दिन ज्यों सिकुड़ गए जाड़े के, वैसे ही
यह चल रही है
सिमट गई है ख़ुद में,आगे अब आकाश नहीं
क़ैद कर लूं पल सुहाने,वो घड़ी हमारे पास नहीं #दिसम्बर#06
ज़िंदगी दिसंबर सी जिंदगी दिसंबर सी धीरे धीरे ढल रही है
 दिन ज्यों सिकुड़ गए जाड़े के, वैसे ही
यह चल रही है
सिमट गई है ख़ुद में,आगे अब आकाश नहीं
क़ैद कर लूं पल सुहाने,वो घड़ी हमारे पास नहीं #दिसम्बर#06