यह दुनियां क्या जाने कीमत इंसान की... यहां तो सब बात करते है जात पात की पैसों का सब खेल है यहां... नहीं कोई कीमत किसी के जस्वाद की गरीब की नहीं कोई ज़िंदगी यहां... हर रोज सज़ा मिल रही है उसे किस बात की मिट्टी से मिट्टी होकर रह जाता है जो किसान यहां... आखिर में क्यों अखबारों की रद्दी बनकर रह जाती है कहानी उसके बलिदान की भूख के मजार पर जलते है रोज़ाना हज़ारों चिराग यहां... कौन करेगा बयान कहानी उनके आंसुओ की कोई तो सुने इनकी पुकार, कोई तो करे मदद के दो हाथ... आख़िर यह भी तो है इंसान #HopeMessage @love diaries10