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“गिरते हैं सजदों में हम अपनी हसरतों की खातिर.. अगर

“गिरते हैं सजदों में हम अपनी हसरतों की खातिर..
अगर गिरते इश्क -ए-खुदा में ..
तो कोई हसरत अधूरी ना रहती ।”

“गिरते हैं सजदों में हम अपनी हसरतों की खातिर.. अगर गिरते इश्क -ए-खुदा में .. तो कोई हसरत अधूरी ना रहती ।” #कला

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