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यूं बेघर हुआ, और कोई घर बार ही नहीं, मैं खड़ा तन्ह

यूं बेघर हुआ, और कोई घर बार ही नहीं,
मैं खड़ा तन्हा, कोई पनाह का आसार ही नहीं।

वहां हारा, कल तक जहां जीत का सहरा था,
लगी चोट गहरी और मयान में तलवार ही नहीं।

हाथ मिलते थे कितने ही कल तलक कंधे पर ,
पीठ में खंजर घोंपने वाले आज यार भी नहीं।

पुराने पैसे बिन लौटाए और मांगने आ जाते थे,
आज तो यहां बाकी किसी का उधार भी नहीं।

लम्बा सफर है कासिम, चल अपने लतीफे समेट ले 
खैर क्या बात करें अब, कोई गुफ्तार ही नहीं। Last Post hai but last write-up nahi.. Kahin na kahin toh sahaara mil hi jaayega is musafir ko...

Will miss you all.... YQ provided me with such beautiful friends..and even some permanent ones... I wish we could have stayed together, a little bit more.

#lastpost
यूं बेघर हुआ, और कोई घर बार ही नहीं,
मैं खड़ा तन्हा, कोई पनाह का आसार ही नहीं।

वहां हारा, कल तक जहां जीत का सहरा था,
लगी चोट गहरी और मयान में तलवार ही नहीं।

हाथ मिलते थे कितने ही कल तलक कंधे पर ,
पीठ में खंजर घोंपने वाले आज यार भी नहीं।

पुराने पैसे बिन लौटाए और मांगने आ जाते थे,
आज तो यहां बाकी किसी का उधार भी नहीं।

लम्बा सफर है कासिम, चल अपने लतीफे समेट ले 
खैर क्या बात करें अब, कोई गुफ्तार ही नहीं। Last Post hai but last write-up nahi.. Kahin na kahin toh sahaara mil hi jaayega is musafir ko...

Will miss you all.... YQ provided me with such beautiful friends..and even some permanent ones... I wish we could have stayed together, a little bit more.

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