कभी ना दिन मेहख़ानो में कटा,, कभी ना रात पेमानो में कटी हर सुबह हर इक शाम हमारी............. तेरे अरमानो में कटी है ज़ख़्म हमे फूलों ने दिया,, काटो से शिकायत किसको है है दर्द हमे अपनो ने दिया,,,,,, गेरो से शिकायत किसको है ऎसे ही लगा हर रात हमे......... ये रात भी बैगानौ मे कटी हर सुबह हर इक शाम हमारी......... तेरे अरमानो में कटी बेख्वाब सफ़र हो जाता है,, खामोश नज़र हो जाती है ज़ब याद ए मौहब्बत आती है,, हर सास ज़हर हो जाती है आराम की घड़िया अपनी....... अब तो तूफ़ानो मे कटी हर सुबह हर इक शाम हमारी....... तेरे अरमानो में कटी मिलते हैं ज़ख़्म दर ज़ख़्म आजकल,, एक खूशी पाने के लिए अश्को से खेलते हैं महफ़िल में,, एक मुस्कान पाने के लिए उम्मीद की रुत भी आयी तो......हर बार इम्तिहानो मे कटी हर सुबह हर इक शाम हमारी.......... तेरे अरमानो में कटी हर सुबह हर इक शाम हमारी...💕 💕 💕 💕 दर्द ए दास्तांन