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किन नयनों का नेह सुधामय सूखा मन सरसाता है... किन क

किन नयनों का नेह सुधामय
सूखा मन सरसाता है...
किन कंठों की वाणी सुरसरि
श्रवणों की तृषा बुझाती है
किन श्वाँसों का भीना सौरभ
तंत्री झंकृत कर जाता है...
किसकी अभिलाषा टेश कुसुम
अधरों पर खिल आती है...
कैसी निश्छल ये मुस्काने
अग जग को ललचाती हैं...
किन स्पर्शों का राग देह को 
यंत्रणा मुक्त कर जाता है...
किस मन का मधुबोध स्नेहमय
प्राणों को पंख लगाता है...
प्राणों को जो प्रिय लगता है
प्राणों में पुलक समाता है
विरहाकुल ये प्राण पथिक
किस पथ पर चलता जाता है






 #toyou#yqfragerance#yqbeauty#yqhearts#yqlife#yqlove
किन नयनों का नेह सुधामय
सूखा मन सरसाता है...
किन कंठों की वाणी सुरसरि
श्रवणों की तृषा बुझाती है
किन श्वाँसों का भीना सौरभ
तंत्री झंकृत कर जाता है...
किसकी अभिलाषा टेश कुसुम
अधरों पर खिल आती है...
कैसी निश्छल ये मुस्काने
अग जग को ललचाती हैं...
किन स्पर्शों का राग देह को 
यंत्रणा मुक्त कर जाता है...
किस मन का मधुबोध स्नेहमय
प्राणों को पंख लगाता है...
प्राणों को जो प्रिय लगता है
प्राणों में पुलक समाता है
विरहाकुल ये प्राण पथिक
किस पथ पर चलता जाता है






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