आज बारिश का बहाना हैं सनम रुक जाओ तुमको सीने से लगाना है सनम रुक जाओ मुद्दतों बाद मुलाकात हुई है तुमसे हाल-ए-दिल हमको सुनाना है सनम रुक जाओ ऐसे लमहात भला रोज़ कहाँ मिलते हैं वक़्त कुछ साथ बताना है सनम रुक जाओ क़ुर्ब होता है हसीं यार मुहब्बत में बहुत ये भी एहसास दिलाना है सनम रुक जाओ हसरतों की मिरी` दुल्हन मिरे घर आई है बाम-ओ-दर दिल का सजाना है सनम रुक जाओ याद आया है हमें साद हमारा बचपन आज फिर हँसना हँसाना है सनम रुक जाओ अरशद साद रूदौलवी ارشد سعؔد ردولوی ©साद रूदौलवी سعدؔ ردولوی Arfa Mahira Fatima #Advance