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कि तुम्हे चाहा, जग छूटा, दिल टूटा एक बार। मेरा मुक

कि तुम्हे चाहा, जग छूटा, दिल टूटा एक बार।
मेरा मुकद्दर, नहीं मंज़िल, है अब राहें फरार।।
मेरा लिखना, तेरा पढ़ना, इसमे शामिल अलंकार।
कुछ बातें, मेरे दिल की, यूं शब्दो में इज़हार।।

मेरे मन कि, तेरे मन की, दुनिया को तो इंकार।
यहां दुख हैं, कुछ दर्द भी, तू ले चल उस पार।।
मेरी रूह में, तेरी रूह हो, अब ऐसा हो प्यार।
मैं वाकिफ, हर सच्च से, है कुछ बाकी मेरे यार।।

©Nandini yadav #Star #Sky #thought #something #something_relateable_
कि तुम्हे चाहा, जग छूटा, दिल टूटा एक बार।
मेरा मुकद्दर, नहीं मंज़िल, है अब राहें फरार।।
मेरा लिखना, तेरा पढ़ना, इसमे शामिल अलंकार।
कुछ बातें, मेरे दिल की, यूं शब्दो में इज़हार।।

मेरे मन कि, तेरे मन की, दुनिया को तो इंकार।
यहां दुख हैं, कुछ दर्द भी, तू ले चल उस पार।।
मेरी रूह में, तेरी रूह हो, अब ऐसा हो प्यार।
मैं वाकिफ, हर सच्च से, है कुछ बाकी मेरे यार।।

©Nandini yadav #Star #Sky #thought #something #something_relateable_