ना चाहत के अन्दाज़ अलग ना दिल के थे ज़ज़्बात अलग। ना अपनी कोई रात अलग ना तेरे कोई ख्वाब अलग।। मिलते थे दोनों बैचैनी से ना थी अपनी कोई मुलाकात अलग। बस थी कुछ समाज की बंदिशे तेरा जात अलग मेरा जात अलग।। मैं फिर भी लड़ लेता इस दुनियाँ से तुझको तुझसे पाने के लिए। पर यहाँ सारा खेल लकीरो का तेरे हाँथ अलग मेरे हाँथ अलग।...2 अरमान दिलो का।।।