कुछ इस तरह वो हमारा, "भरोसा"तोड़ जाते हैं। खाते हैं कसमें हमारी, फिर छुपकर "घूमने" जाते हैं। ©ब्राह्मण अभिषेक पटैरिया #_भरोसा