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एक आयत से बरसती है उसकी निशानी एक कयामत सी दिखती

एक आयत से बरसती है उसकी निशानी

 एक कयामत सी दिखती है उसके हर नूर में 

हम तनहा इश्क में भी हो बैठे 

  इक इकरारनामे हसीना-ए- नुर हुजुर में ayat se nishani
एक आयत से बरसती है उसकी निशानी

 एक कयामत सी दिखती है उसके हर नूर में 

हम तनहा इश्क में भी हो बैठे 

  इक इकरारनामे हसीना-ए- नुर हुजुर में ayat se nishani