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कभी कभी सबसे दूर खुद से मिलना भी अच्छा लगता है बिन

कभी कभी सबसे दूर
खुद से मिलना भी अच्छा लगता है
बिना शब्दों की खामोशी भी सुनना अच्छा लगता है

कभी कभी खुद को समझना
ओरौ के समझने से बेहतर लगता है
खुद से ही खुद की कमियां जानना अच्छा लगता है

समझा कर खुद को खुद ही निखारना
ओरो की वकालत से अच्छा लगता है
कभी कभी सिर्फ खुद को जबाव देना अच्छा लगता है

अकेले में बैठकर चार बातें करके
खुद का अस्तित्व पहचानना अच्छा लगता है
कोई हस्ती नहीं हूं में ये जानकर भी
अपना सम्मान करना अच्छा लगता है

कभी कभी यूं ही अकेले बैठना भी अच्छा लगता है
🙂

©Sukh Kaur
  MSU🥺
sukhkaur9458

Sukh Kaur

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MSU🥺 #विचार

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