हमा-वक़्त रन्ज ओ मलाल क्या_जो गुज़र गया सो गुज़र गया उसे याद करके ना दिल दुखा_ जो गुज़र गया सो गुज़र गया ना गिला किया ना ख़फ़ा हुए_ युँ ही रास्ते में जुदा हुए ना तू बेवफ़ा ना मैं बेवफ़ा__जो गुज़र गया सो गुज़र गया वो ग़ज़ल की एक किताब था _ वो गुलों में एक गुलाब था ज़रा देर का कोई ख़्वाब था_जो गुज़र गया सो गुज़र गया मुझे पतझड़ों की कहानियाँ_ न सुना सुना के उदास कर तू खिज़ाँ का फूल है_मुस्कुरा, जो गुज़र गया सो गुज़र गया वो उदास धूप समेट कर__ कहीं वादियों में उतर चुका उसे अब न दे मिरे दिल सदा_ जो गुज़र गया सो गुज़र गया ये सफ़र भी किताना तवील है , यहाँ वक़्त कितना क़लील है कहाँ लौट कर कोई आएगा, जो गुज़र गया सो गुज़र गया वो वफ़ाएँ थीं, के जफ़ाएँ थीं, ये ना सोच किस की ख़ताएँ थीं वो तेरा है उसको गले लगा, जो गुज़र गया सो गुज़र गया तुझे एतबार-ओ-यक़ीँ नहीं_ नहीं दुनिया इतनी बुरी नहीं ना मलाल कर, मेरे साथ आ_जो गुज़र गया सो गुज़र गया ##बशीरबद्रसाहब #Darknight