किताबों से दिल लगाए बैठे हैं, आसमान का ख्वाब सजाए बैठे हैं, कभी दिल्लगी भी बेशुमार की थी, अब मंजिल से दिल लगाए बैठे हैं!! ✒️ राणा....... my books