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खुशबू हवाएं ले उड़ी , वक्त रंगत ले गया गुल ने दास

खुशबू हवाएं ले उड़ी , वक्त रंगत ले गया
 गुल ने दास्तां कही , क्या से क्या यह हो गया ।
 और न लेखन के बारे में कोई दावा है
 हम नहीं कहते कि हम ही कहते हैं ।
 यही तो कहते हैं , कि हम भी कहते हैं । लेखन
खुशबू हवाएं ले उड़ी , वक्त रंगत ले गया
 गुल ने दास्तां कही , क्या से क्या यह हो गया ।
 और न लेखन के बारे में कोई दावा है
 हम नहीं कहते कि हम ही कहते हैं ।
 यही तो कहते हैं , कि हम भी कहते हैं । लेखन

लेखन