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वैसे इन प्रश्नो पर बड़ी उम्र मे ही विचार करना चाहि

वैसे इन प्रश्नो पर बड़ी उम्र मे ही विचार करना चाहिए
जो कि बात खुल चुकी है एक बार ज़रूर इसपर विचार करना चाहिए

सहकार भावना क्या है? 
एक आवाज उठी यह काम है
तुरंत दूसरी आवाज आई, लो मै भी आ गया
सहकार भावना इसी का रूप है
काम मे हाथ बँटाकर अधूरा काम पूरा करा गया

शरीर के अंग अपना काम करकर पेट तक पहुँचाते है
पेट अपना काम करकर शरीर के अंगो तक पहुंचाता है
ये सहकार भावना है जिसके कारण ये एक दूसरे को जीवित रख पाते है
अन्यथा इन सबको अपना दम तोड़ना पड़ जाता है

पहली आवाज लगाए कौन? 
पहली आवाज उसकी हो जो देखे या समझे यह काम है
वही बने नेता उसके बाद आये सब मेहमान है

आवाज लगाने पर कोई न आये तो? 
पहली आवाज जिसकी हो पहला हाथ और पहला कदम भी वो उठाए
मेरा मतलब वो काम प्रारम्भ करे और करता ही चला जाए

अगर आप दूसरों की आवाज पर कान बंद कर लेते हो
काम को देखकर आँखे बंद कर लेते हो
तो आप उस राजा के वंशज हो जो बलवान कहा जाता था
और अपनी नगरी को जलते देख बंशी बजाता  था

याद रखिये सहकार कोई अहसान नही है
इसके बिना आपका कुछ भी मान नही है
सहकार का स्वरूप है मै ही सबकुछ नही 
असहकार का स्वरूप मुझे किसी की जरूरत नही

अगर आपको लगता है की मेरा ये प्रश्न फालतू है
तो आप एक पशु है जिसका जीवन कुछ भी नही है
क्युकी सहकार के सिवाय हमारा जीवन और है ही क्या? 
सहकार के बिना हमारा जीवन कुछ भी नही है


–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #worldpostday
वैसे इन प्रश्नो पर बड़ी उम्र मे ही विचार करना चाहिए
जो कि बात खुल चुकी है एक बार ज़रूर इसपर विचार करना चाहिए

सहकार भावना क्या है? 
एक आवाज उठी यह काम है
तुरंत दूसरी आवाज आई, लो मै भी आ गया
सहकार भावना इसी का रूप है
काम मे हाथ बँटाकर अधूरा काम पूरा करा गया

शरीर के अंग अपना काम करकर पेट तक पहुँचाते है
पेट अपना काम करकर शरीर के अंगो तक पहुंचाता है
ये सहकार भावना है जिसके कारण ये एक दूसरे को जीवित रख पाते है
अन्यथा इन सबको अपना दम तोड़ना पड़ जाता है

पहली आवाज लगाए कौन? 
पहली आवाज उसकी हो जो देखे या समझे यह काम है
वही बने नेता उसके बाद आये सब मेहमान है

आवाज लगाने पर कोई न आये तो? 
पहली आवाज जिसकी हो पहला हाथ और पहला कदम भी वो उठाए
मेरा मतलब वो काम प्रारम्भ करे और करता ही चला जाए

अगर आप दूसरों की आवाज पर कान बंद कर लेते हो
काम को देखकर आँखे बंद कर लेते हो
तो आप उस राजा के वंशज हो जो बलवान कहा जाता था
और अपनी नगरी को जलते देख बंशी बजाता  था

याद रखिये सहकार कोई अहसान नही है
इसके बिना आपका कुछ भी मान नही है
सहकार का स्वरूप है मै ही सबकुछ नही 
असहकार का स्वरूप मुझे किसी की जरूरत नही

अगर आपको लगता है की मेरा ये प्रश्न फालतू है
तो आप एक पशु है जिसका जीवन कुछ भी नही है
क्युकी सहकार के सिवाय हमारा जीवन और है ही क्या? 
सहकार के बिना हमारा जीवन कुछ भी नही है


–Vikas Gupta

©Vikas Gupta #worldpostday
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Vikas Gupta

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