मां ये लोग मुझसे प्यार नहीं करते, तो हर पल मेरा सोषण क्यूं? लड़की जात सिर्फ बोझ है इन पर तो, इनके हिस्से मां बहन का प्यार क्यूं ? इनको भी उत्पीड़न क्यूं नहीं मिलता, जिसके डर से मां तू आज भी है डरती। मां तू ये बता ये लोग अपनी मां पर आंच आए बर्दाश्त नहीं करते, पर बेटी के जन्म से ही उससे नफरत क्यों करते है? क्या मेरे में कोई कमी है जो ये लोग मुझे, अपने दुनिया में आने देने से कतराते है? अगर ऐसा नहीं है तो इस बार मै आउंगी बनकर तेरी परछाई। पर होगा तो फिर वही जो आज तक होता चला आया है। फिर से भट्टी के आग में मुझको झोका जाएगा, फिर से मुझसे ज़बरदस्ती बर्तन मजवाए जाएंगे, फिर से मुझको स्कूल जाने से रोका जाएगा, फिर से मुझे भी सब के जैसा बना दिया जाएगा, जो एक सुंदर सी गुड़िया तो होगी जो सिर्फ एक बेजान सी वस्तु ही रहेगी। मां मुझे इस जहां में नहीं आना जहा लोग मेरे खून के प्यासे है, मां मुझे तेरी दुनिया में नहीं आना जहा सब मुझसे जलते है, मां मुझे डर लगता है इन इंसान के नकाब पहने लोगों से, पता नहीं यहां कोन दरिंदा निकल जाए शरीफ़ फिरा जो गलियारों में, मां मै सहम जाती हूं लोगों की नजर से, मां मुझे नहीं आना उंगली पकड़ तेरे इस जहां में। मेरी बस इतनी सी मांग है, मुझे तेरे जैसा नहीं बनना, मुझे बनना है मेरे जैसा,मुझे खेल की गुड़िया नहीं बनना, मेरे भी तो सपने होंगे,मुझे मंज़ूर है वो बनना, मां जैसा ना मै बन पाऊंगी इसलिए तेरे दुनिया मै आ ना पाऊंगी। ©Megha's poetry #Maa #betibachao #bhrunhatya #betiyan #zindagikerang