मेरा नाता अंधेरों से अब और गहरा चुका है ये दिल जाने कितनी बार इनके साथ में रो चुका है मैं अब ख्वाबो़ की पोटली धुएं में उडाता जा रहा मैं अब खुशी के पल भी गम में डूबाता जा रहा जब चाह नही है जिंदगी से तो इससे नाता कैसे मैं जताऊं जब मन डूबा पडा़ दर्द और जुदाई के वियोग में तो खुशियां वाली दिवाली कैसे मनाऊं! #nodiwali #अंधेरा_छाया_रहा_जीवन_में_करोडो़_दियें_जलने_के_बाद