लिखूँ जो ख़त तुझे हो मेरे पूरे दिल से कोरे काग़ज़ पे जज़्बात अपने शब्दों से बयां कर दे पहले दिल का हाल बता दूंँ अपने बिन तेरे पिया मन लागत ना मोरे कब लौट के आओगे परदेस से इंतज़ार करती मैं और ये तेरा घर रे कितने मौसम तुम बिन बीत गए अब सावन भी बीता जाए रे गांँव की पगडंडियाँ तुझे बुलावे नीम छांव तले बैठ रस्ता निहारू रे बाकी सब यूँही ठीक है चले ख़त मिलते ही अपना हाल लिख भेजना रे ♥️ Challenge-995 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।