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आँचल उस रब की छत्र छाया सा है माँ मेरे लिए तेरा आँ

आँचल उस रब की छत्र छाया सा है माँ मेरे लिए तेरा आँचल,
जब भी तुम हटा लेती हो मैं खुद को तूफान में पाती हूँ।

सर्दी में शॉल सा गर्मी में पानी सा लगे माँ तेरा आँचल,
इसे पाकर मैं जिंदगी की सर्दी गर्मी से भी बच जाती हूँ।

हाँ! मेरे रूह पर मेरे जिस्म सा है तो माँ तेरा आँचल, 
जब से मिला है मैं जिंदा हूँ मैं हर पल जीती जाती हूँ। 

सुनो न, सदा मुझपर उड़ाकर रखना माँ तेरा आँचल,
इसके बिना मैं दर्द-गम के तारों से छिली सी जाती हूँ।  

किसी नरम से बिस्तर सा लगे सखी को माँ तेरा आँचल,
थकी न भी हूँ तब भी गहरी सुकून की नींद पा जाती हूँ। 

©सखी #आँचल #anchal #aanchal #माँ
आँचल उस रब की छत्र छाया सा है माँ मेरे लिए तेरा आँचल,
जब भी तुम हटा लेती हो मैं खुद को तूफान में पाती हूँ।

सर्दी में शॉल सा गर्मी में पानी सा लगे माँ तेरा आँचल,
इसे पाकर मैं जिंदगी की सर्दी गर्मी से भी बच जाती हूँ।

हाँ! मेरे रूह पर मेरे जिस्म सा है तो माँ तेरा आँचल, 
जब से मिला है मैं जिंदा हूँ मैं हर पल जीती जाती हूँ। 

सुनो न, सदा मुझपर उड़ाकर रखना माँ तेरा आँचल,
इसके बिना मैं दर्द-गम के तारों से छिली सी जाती हूँ।  

किसी नरम से बिस्तर सा लगे सखी को माँ तेरा आँचल,
थकी न भी हूँ तब भी गहरी सुकून की नींद पा जाती हूँ। 

©सखी #आँचल #anchal #aanchal #माँ