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प्रेम दिवसों से भरा वो माहौल अनोखा था।-२ प्रेम दि

प्रेम दिवसों से भरा वो  माहौल अनोखा था।-२
प्रेम दिवसों से भरा वो माहौल अनोखा था।
किसीने उसको लाल गुलाब तो किसीने 
लाल लहू से महकाया था।
किसीको बक्से में मिलने वाले तोहफे की आस थी 
उसिको थामी वो तिरंगे में लिपटी हुई लाश थी।
वो पूरा मोहब्बत के दिन मौत का मातम केसा होगा?
इंसानियत की शक्ल में वो हैवान केसा होगा?
ए खुदा तू भी गलत साबित हो गया
मौत से बढ़ कर कुछ लिखना था हैवानों के लिए
रह गया।
वो प्रेम दिवसों से भरा माहौल अनोखा था😣
याद नहीं रखना था मुझे,जबरन याद रह गया।
    -shreyash parekh #Deshbhakti 
pulvama Martyrs
प्रेम दिवसों से भरा वो  माहौल अनोखा था।-२
प्रेम दिवसों से भरा वो माहौल अनोखा था।
किसीने उसको लाल गुलाब तो किसीने 
लाल लहू से महकाया था।
किसीको बक्से में मिलने वाले तोहफे की आस थी 
उसिको थामी वो तिरंगे में लिपटी हुई लाश थी।
वो पूरा मोहब्बत के दिन मौत का मातम केसा होगा?
इंसानियत की शक्ल में वो हैवान केसा होगा?
ए खुदा तू भी गलत साबित हो गया
मौत से बढ़ कर कुछ लिखना था हैवानों के लिए
रह गया।
वो प्रेम दिवसों से भरा माहौल अनोखा था😣
याद नहीं रखना था मुझे,जबरन याद रह गया।
    -shreyash parekh #Deshbhakti 
pulvama Martyrs