नदी के पर्यन्त हमने देखा, पावन आवाज थी या धोखा, चल चल कर सन्देश देती, गिरे हुवे को बहा लेती, कांतिमय धारा से उधम मचाती, सहजता से सन्देश देती, निराधारो का आधार नहीं, इसलिए मैं बर्बाद कर देती, कितने भंवर थे कितनी तरंगे, बस आपस में ही मन भरते, मैंने पूछा ताकत का क्या राज है, चलना काम है मेरा इसलिए नाम है, चलने वाले रुकते नहीं ये ताकत है "माही"!!! कुमार महेश"माही" 7023665411 जोधपुर (राजस्थान) #NojotoQuote मूक सन्देश मूक सन्देश