इस तरह से गुज़र रहीं हैं सुबह और शाम यादों में तेरी गुज़र जाते हैं सावन के बादल बिन बरसे रूखे-सूखे-से ज्यों ही मुरझाती है मन-कली तेरे बग़ैर धूप में कुम्हलाती ज्यों कोमल-कली इस तरह से हैं बरसतीं यादें तेरी दामिनी संग बरसे ज्यों मेघा की नदी खिंचता मेरा हिया कुछ यूँ तेरी तरफ ज्यों पराग-कण खींचे भँवरे का जिया उड़ता मन तेरे सपनों के संग ज्यों उड़े नाज़ुक बेल वसंती वायु संग इस तरह से गुज़र रहीं हैं सुबह और शाम यादों में तेरी मैं हूँ भी और हूँ भी नहीं बाँहों में तेरी...! Muनेश..Meरी✍️🌺 इस तरह रात के दामन में तेरी याद के गुल खिलते हैं। #इसतरह #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi