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एक महापुरुष था आया। दुनिया पर जो था छाया। जातिवाद

एक महापुरुष था आया।
दुनिया पर जो था छाया।
जातिवाद से आजादी की,
रखी जिस ने नींव।
जय भीम,जय भीम,जय भीम।
सोई कोम को था जगाया।
और सबको था समझाया।
अपने हक को पाने को तुम,
मेहनत करना असीम।
जय भीम ,जय भीम,जय भीम।
Dr, की उपाधि पाई।
हिम्मत जो थी दिखाई।
जातिवाद की बीमारी के,
बने थे जो हकीम।
जय भीम,जय भीम, जय भीम।
चौहान ने कलम चलाई,
बाबा की महिमा गाई।
सारी दुनिया को सुनाई,
सुन कर हो गए सारे लीन।
जय भीम, जय भीम, जय भीम।
ताहिर।।।

©TAHIR CHAUHAN
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