जब निकला था सफ़र के लिए, मजबूत दृढ़ संकल्प लिए, कि समय पर मंज़िल तक पहुंचना है मुझे, इसी सफ़र के दौरान मै रुका एकाएक, थोड़ा सुस्ताने के लिए, चलने से उपजी हुई थकान मिटाने के लिए, अपने आलस को थोड़ा भोग लगाने के लिए ना जाने क्यों ये समय भी मेरे साथ रुका नहीं। चलता रहा अपनी रफ़्तार से, निकल गया बहुत आगे, मुझे अकेला पीछा छोड़कर। फिर मुझे याद आया कि समय कभी स्थाई नहीं रह सकता है तो अब सोचता हूं जिसका कोई फायदा नहीं कि काश! समय के साथ चलना था मुझे उसी रफ़्तार से..... बात किसकी बनी हुई है? हर व्यक्ति की समय से ठनी हुई है। समय से अपने संबंधों की कहानी लिखें। #समयकेसाथ #collab #yqdidi ... #शुद्ध_हिंदी