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कोई कब तलक यूंही सहता रहे होकर बेजुबान यूंही बैठा

कोई कब तलक यूंही सहता रहे
होकर बेजुबान यूंही बैठा रहे.
हूं इंसान मुझे भी जीने का हक है
बहती नदी और हवाओं  सा मुझे भी जीने का हक है
दिल मैं है बोहूत कुछ
जो कहना चाहता हूं
अपनी व्यथा से आपको परिचित कराना चाहता हूं
एहसास मुझमें भी है 
मैं कोई पत्थर नहीं।
बेचा है वक्त मैंने  खुदको नहीं
घायल होती है आत्म मेरी तिरस्कार से
क्यूं आप कुछ कहते नही हैं प्यार से
कोई कब तलक यूंही जीता रहे
चंद सिक्कों की खातिर 
होकर गुलाम सब सहता रहे......

©jeetkehra #bezubaan koi kab talak u hi sehta rahe...#nojoto#poetry
कोई कब तलक यूंही सहता रहे
होकर बेजुबान यूंही बैठा रहे.
हूं इंसान मुझे भी जीने का हक है
बहती नदी और हवाओं  सा मुझे भी जीने का हक है
दिल मैं है बोहूत कुछ
जो कहना चाहता हूं
अपनी व्यथा से आपको परिचित कराना चाहता हूं
एहसास मुझमें भी है 
मैं कोई पत्थर नहीं।
बेचा है वक्त मैंने  खुदको नहीं
घायल होती है आत्म मेरी तिरस्कार से
क्यूं आप कुछ कहते नही हैं प्यार से
कोई कब तलक यूंही जीता रहे
चंद सिक्कों की खातिर 
होकर गुलाम सब सहता रहे......

©jeetkehra #bezubaan koi kab talak u hi sehta rahe...#nojoto#poetry
jeetkehra1107

jeetkehra

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