कई इमारतें बुलंद देखीं हमने, लेकिन वो मुकाम इनमें कहां जन्में। आपदा से बरबादी से कहीं ज्यादा, इनमें दिल-ए-दूरियां मौजूदा। रहते एक छत के नीचे है, पर होते ये दिल से जुदा है। जिनके घर बाढ़ में तबाह होते, हौसले तो इन आशियानें में पलते। यूं तो रोज़ाना, हालात उन्हें चाहें दफनाना। हर वक्त टूटते घर उनके, पर इनमें अटूट इरादे है पलते। परिवार महल, कोठी, बंगले से नहीं, उनमें बसेरा करने वालों से बनती। इस तालीम को कामिल करे, बच्चों की सोच में इसे शामिल करे। ©Anuradha Sharma #home #pariwaar #family #relationship #ghar #unity #yqquotes #yqurdupoetry #sagarkinare