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खुद के साथ घूम कर दुनिया को खुद की नजरों से समझना

खुद के साथ घूम कर दुनिया को खुद की नजरों से समझना चाहती हूं,
गिरना गिरकर संभालना और संभल कर चलना चाहती हूं,
बारिशों में खुलकर नाचना चाहती हूं 
मगर ये मेरे वो चंद ख्वाब है जिनकी सजा में लिखा 
है ताउम्र कामिल ना होना.....
अपनो की चाहत चाहती हूं,दो घड़ी की राहत चाहती हूं 
और झूठी ही सही मगर होठों पर अपने भी मुस्कुराहट चाहती हूं 
मगर इन एहसासों का मेरे 
मुकद्दर में है लिखा शामिल ना होना.....

©Chanchal Chaturvedi #खुद_के_साथ #Chanchal_mann #Nojoto #Hindi #poem #nazm 

#meridiary
खुद के साथ घूम कर दुनिया को खुद की नजरों से समझना चाहती हूं,
गिरना गिरकर संभालना और संभल कर चलना चाहती हूं,
बारिशों में खुलकर नाचना चाहती हूं 
मगर ये मेरे वो चंद ख्वाब है जिनकी सजा में लिखा 
है ताउम्र कामिल ना होना.....
अपनो की चाहत चाहती हूं,दो घड़ी की राहत चाहती हूं 
और झूठी ही सही मगर होठों पर अपने भी मुस्कुराहट चाहती हूं 
मगर इन एहसासों का मेरे 
मुकद्दर में है लिखा शामिल ना होना.....

©Chanchal Chaturvedi #खुद_के_साथ #Chanchal_mann #Nojoto #Hindi #poem #nazm 

#meridiary