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उमंगो की तरह, हम रोज़ मिलते थे, उन्हें सागर किनार

उमंगो की तरह,
हम रोज़ मिलते थे, 
उन्हें सागर किनारे पर
मगर अब वो नहीं दिखते, 
दिल में लहरें सी 
उठती है।

©Senty Poet
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