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है ये दुख की घड़ी ना किसी से पूछ के पड़ी आई है ये

है ये दुख की घड़ी
ना किसी से पूछ के पड़ी
आई है ये जब जीवन में 
मुस्किल सबकी और बढ़ि
खड़े हुए हैं साथ सभी
पर कोई शहारा दिखे नहीं
जो था मुझको सबसे प्यारा
वो ही किनारा दिखे नही
उसको ही मै ढूंढ रहा हूं 
पर मेरा जीवन सारा दिखे नहीं
             आए ये जो दुख है अब
                 इसे मुझे अब शहना होगा
                 लेकर इसको अंदर अपने
                     आगे बढ़ते रहना होगा...

©Rahul Panghal
  #रास्ता