कल रुख़सत हुआ जो शख्स यूँ तनहाई में कभी महफिलों की शान हुआ करता था। हर दिल अजीज दोस्तों की जान हुआ करता था। उसका मुस्कुराता चेहरा अब भी गीत गा रहा है। जिंदगी मौत के अजीब रहस्य सुना रहा है। मंजीत था मनों को जीत कर जा रहा है। अभी हाल ही में मिला था मुस्कुरा कर वो सोचा न था जाएगा इस कद्र रुला कर वो। ये जिंदगी मौत का खेल समझ आता नहीं जैसे गया वो जिंदादिल वैसे कोई जाता नहीं। मौत यकीनन है सभी को आनी है हकीकत है ये दुनिया फानी है। कहा था उसने चाय पीते हैं कुछ बतियाते हैं फिर कभी सही अभी तो हम काम से जाते हैं। दोस्तों कोई अजीज चाय के लिए कहे तो पी लेना चंद चुस्कियों में मिली ज़िंदगी यारों संग जी लेना। न मालूम कौन सी आखिरी मुलाकात हो। आज दिल खोल के बतिया लो जी भर के कौन जाने कल न फिर कभी वो बात हो। जीना पड़े यूँ ही ताउम्र फिर रुसवाई में। कल रुख़सत हुआ जो शख्स यूँ तनहाई में कभी महफिलों की शान हुआ करता था। हर दिल अजीज दोस्तों की जान हुआ करता था। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 29.08.2020 मंजीत