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ना किसी का गम ,ना जमाने का छोर था,अरे जे उन दिनों

ना किसी का गम ,ना जमाने का छोर था,अरे जे उन दिनों की बात है ,जब बचपन का दौर था,दो रुपए में मिल जाती थी खुसी जमाने की,और डरते थे बाहर जाने से वो जो गाओं का आखरी मोड़ था,यह उन दिनों की बात है जब बचपन का दौर था। missing everyone for childhood
ना किसी का गम ,ना जमाने का छोर था,अरे जे उन दिनों की बात है ,जब बचपन का दौर था,दो रुपए में मिल जाती थी खुसी जमाने की,और डरते थे बाहर जाने से वो जो गाओं का आखरी मोड़ था,यह उन दिनों की बात है जब बचपन का दौर था। missing everyone for childhood