बनल पुरूकिया टिकरी केर संग अरिपन कलश संग अंगना प्रसन्न दही केर छाछी पनपथिया सजल अक्षत चानन सिनुरक पात गढ़ल फूल भेंट'क दूवि बेलपात'क संग अंगना मैट आ गोबर सँ निपल कुश हाथ पकरि बैसल माय दादी माँड़र मे बनल पुरी आ मखान सिंह प्रसेन मवधी गुँजल मंत्र भाद्रपद आयल जय हो चौठीचान ।।