हर रोज़ तू मेहमां बनी बीन बुलाए जिंदगी ए जान कर भी महफ़िल-ए-एहतिमाम है किसके लिए तू सौतन है निर्वाण की, होठो से मत लगा पैमाने यह मुफलिस-ए-मजलिस है,यहां जाम है शायरी के लिए।। शायरी का जाम