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अँधेरा रात के घुप्प अँधेरे में जब हाथ को हाथ भी न

अँधेरा

रात के घुप्प अँधेरे में
जब हाथ को हाथ भी नहीं सूझता
तब तुम अकेली आयी हो
क्या कोई बड़ा इरादा लेकर आई हो
या फिर घर से भाग आई हो
 लौट जाओ घर को अभी बहुत अँधेरा है
कहीं कोई देख ना ले तुमको
फिर बदनाम कर देंगे लोग तुमको

©DR. LAVKESH GANDHI
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