वो मेहँदी लगे हाथ दिखा के रोई, मैं किसी और की हूँ, वो बस इतना बता के रोई.... मेने बोला कौन हैं वो खुशनसीब, वो मेहँदी से लिखा हाथ दिखा के रोइ... शायद उम्र भर की जुदाई का ख्याल आया था उसे, वो मुझे पास अपने बिठाकर रोई... कभी कहती थी मैं न जी पाऊँगी बिन तुम्हारे, और आज ये बात दोहरा दोहरा कर रोई... मैं बेकसूर हूँ, कुदरत का फैसला है ये, लिपट कर मुझसे बस वो इतना बता कर रोई... कैसे उसकी मोहब्बत पर शक करे ये दोस्तों, भरी महफ़िल में वो मुझे गले लगा कर रोई...❤️ ©Brajesh_Kumar #Couple sad poetry