बेचारा आदमी मज़बूर है कितना, ख़ुशी से ज़िन्दगी भी जी नहीं सकता। तमन्ना है कि मैं भी चांद तारे तोड़ लाऊं, पर हकीकत में किसी से कह नहीं सकता। ज़िगर सीने में दिल उसके भी है लेकिन, डूबकर मदिरा किसी की आंख में पी नहीं सकता। बेचारा आदमी मज़बूर है कितना , ख़ुशी से ज़िन्दगी भी जी नहीं सकता है ©Anuj Ray #बेचारा आदमी मजबूर है कितना