अरे आइए, आइए, प्रमिला जी! बैठिए, हां तो बताइए, हम आपकी क्या सेवा करें? विवेक ने बड़ी सहजता से प्रमिला से पूछा... दोनों हाथों को जोड़कर प्रमिला ने विवेक से कहा, नहीं वकिल बाबू, शुक्रिया हम खड़े ही ठीक है। उंगलियों में पेन फसाकर हिलाते हुए विवेक बोले.... और भैया जी,बच्चे कैसे हैं? वे सब ठीक है वकील बाबू , आप से कुछ पूछना था। कुछ्छ्..... संपत्ति के बारे में, हिचकिचाते हुए प्रमिला बोली.... पेन को मेज पर रखकर विवेक बोला, पहले आप बैठिए! फिर पूछिए, कुर्सी को थोड़ा पीछे खींच कर प्रेमिला उस पर बैठ गई और बोली, बात दरअसल यह है कि वकील बाबू.... अचानक रूक कर फिर बोली, आप तो जानते ही हैं ना वकील बाबू इनका तनखां कितना है। हम पूरे छःलोग है ऊपर से जो लोन लिया था उसका भी किश्त इनके तनखां से कट जाता है, ऐसे में गुजारे कैसे चलें।