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कर्मशील स्वभाव अपने कार्य में व्यस्त रहने वाले को

कर्मशील स्वभाव अपने कार्य में व्यस्त रहने वाले को चिंता नहीं सताती की कुछ व्यक्ति सदा उसमें बुराइयां और उसके कार्य में त्रुटियां तलाशते हैं वह इस नकारात्मक प्रवृत्ति में उड़ जाएगा तो उसके कार्य अवरुद्ध होंगे कर्मवीर को ज्ञान होता है कि जिस अनुपात में कार्य संपादित किया जाएगा उसी अनुपात में द्रोण रोपण चंद्र निवेशन और शत्रुता बढ़ सकती है सत्य निष्ठा और सावधानी से निष्पादित कार्य में भी भूल चूक या कोई दृष्टि रह सकती है अहम यह है कि पहली भूल से सबक लेते हुए उसकी पुनरावृत्ति ना हो एक ही भूल बार-बार घटित होने का अर्थ है कार्य लिस्ट से नहीं किया जा रहा कार्य में जितनी लगन और निष्ठा होगी परिणाम उतना ही सवार निखर परिणाम और वही अपराध सिया सिया योजनाबद्ध विधि से अंजाम दिया जाता है दोनों की परिणति में वही अंतर है जो मंदिर या शमशान से निकलते हुए हुए की प्राकृतिक में ऑपरेशन के दौरान डॉ जानबूझकर कैसी गलत नहीं चलाएगा क्योंकि डॉक्टर भी मनुष्य है लिहाज उससे भी गलती हो सकती है कार्य के लिए समर्पित कर्मवीर कदाची अमृत या आपत्तिजनक आचरण कर बैठे तो वह आत्म लिंगन और पश्चाताप की अग्नि में लगने लगेंगे वह अपने अनुचित व्यवहार को उचित ठहराने की चेष्टा कभी नहीं करेगा उसे तो सुदूर से स्वयं को बेहतर बनाना रहना है जिसके प्रति उसने अनायास हुआ उसके सक्षम करुणा विनय और निर्मलता से प्रस्तुत होगा प्राकृतिक विद्यमान के अनुकूल उसका मृदुल 16 पार्क और सहयोगी संभावना उसके इसके विपरीत अकारणीय निर्धन व्यक्ति तब तक अपने कर्तव्य को सही ठहराया का जब तक वह चौतरफा गिरा नहीं जाता इस प्रक्रिया में असंतुष्ट औरत सांत्वना उसकी नियति बन जाती है

©Ek villain #Books #karamkikalam
कर्मशील स्वभाव अपने कार्य में व्यस्त रहने वाले को चिंता नहीं सताती की कुछ व्यक्ति सदा उसमें बुराइयां और उसके कार्य में त्रुटियां तलाशते हैं वह इस नकारात्मक प्रवृत्ति में उड़ जाएगा तो उसके कार्य अवरुद्ध होंगे कर्मवीर को ज्ञान होता है कि जिस अनुपात में कार्य संपादित किया जाएगा उसी अनुपात में द्रोण रोपण चंद्र निवेशन और शत्रुता बढ़ सकती है सत्य निष्ठा और सावधानी से निष्पादित कार्य में भी भूल चूक या कोई दृष्टि रह सकती है अहम यह है कि पहली भूल से सबक लेते हुए उसकी पुनरावृत्ति ना हो एक ही भूल बार-बार घटित होने का अर्थ है कार्य लिस्ट से नहीं किया जा रहा कार्य में जितनी लगन और निष्ठा होगी परिणाम उतना ही सवार निखर परिणाम और वही अपराध सिया सिया योजनाबद्ध विधि से अंजाम दिया जाता है दोनों की परिणति में वही अंतर है जो मंदिर या शमशान से निकलते हुए हुए की प्राकृतिक में ऑपरेशन के दौरान डॉ जानबूझकर कैसी गलत नहीं चलाएगा क्योंकि डॉक्टर भी मनुष्य है लिहाज उससे भी गलती हो सकती है कार्य के लिए समर्पित कर्मवीर कदाची अमृत या आपत्तिजनक आचरण कर बैठे तो वह आत्म लिंगन और पश्चाताप की अग्नि में लगने लगेंगे वह अपने अनुचित व्यवहार को उचित ठहराने की चेष्टा कभी नहीं करेगा उसे तो सुदूर से स्वयं को बेहतर बनाना रहना है जिसके प्रति उसने अनायास हुआ उसके सक्षम करुणा विनय और निर्मलता से प्रस्तुत होगा प्राकृतिक विद्यमान के अनुकूल उसका मृदुल 16 पार्क और सहयोगी संभावना उसके इसके विपरीत अकारणीय निर्धन व्यक्ति तब तक अपने कर्तव्य को सही ठहराया का जब तक वह चौतरफा गिरा नहीं जाता इस प्रक्रिया में असंतुष्ट औरत सांत्वना उसकी नियति बन जाती है

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