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दौड़ता है यूँ तो सुबहो शाम आदमी, आता नहीं आदमी के क

दौड़ता है यूँ तो सुबहो शाम आदमी,
आता नहीं आदमी के काम आदमी।

नेकियों के वास्ते तो वक़्त नहीं है।
 करता है गुनाह सरे-आम आदमी।

हुनर ख़ुद में भी है रंग बदलने का,
करता है गिरगिट को बदनाम आदमी।

जीता तो है'गोपाल' मगर घुट-घुट के,
ख्वाइशों का अपनी गुलाम आदमी।

 कृष्ण गोपाल सोलंकी
   8802585986 #NojotoQuote Good morng ..💐
दौड़ता है यूँ तो सुबहो शाम आदमी,
आता नहीं आदमी के काम आदमी।

नेकियों के वास्ते तो वक़्त नहीं है।
 करता है गुनाह सरे-आम आदमी।

हुनर ख़ुद में भी है रंग बदलने का,
करता है गिरगिट को बदनाम आदमी।

जीता तो है'गोपाल' मगर घुट-घुट के,
ख्वाइशों का अपनी गुलाम आदमी।

 कृष्ण गोपाल सोलंकी
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