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वो शाम को निकलना,रात को घर आना कबड्डी खेलना,धूल ल

वो शाम को निकलना,रात को घर आना 
कबड्डी खेलना,धूल लगाना
मम्मी से मार खाना,पापा का समझाना
दादी से कहानी सुनना,दादा का हाँथ बटाना
छोटी सी बातों पर,धूल को ही बिस्तर बनाना
वो खाने के लिए झगड़ना,नहाने से इतराना 

ये बच्चपन की यादें बरा अजीब है,
उन बातों का याद आना भी खुशनसीबी है। 🤗🤗बच्चपन की यादें 🤗🤗
वो शाम को निकलना,रात को घर आना 
कबड्डी खेलना,धूल लगाना
मम्मी से मार खाना,पापा का समझाना
दादी से कहानी सुनना,दादा का हाँथ बटाना
छोटी सी बातों पर,धूल को ही बिस्तर बनाना
वो खाने के लिए झगड़ना,नहाने से इतराना 

ये बच्चपन की यादें बरा अजीब है,
उन बातों का याद आना भी खुशनसीबी है। 🤗🤗बच्चपन की यादें 🤗🤗