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पल्लव की डायरी डाली से झड़कर वो शिकार आवारापन का हो

पल्लव की डायरी
डाली से झड़कर वो
शिकार आवारापन का हो रहा है
हर हाथ मे पड़कर जैसे खिलौना हो रहा है
किया कीमत है इसकी दूसरों के पास
जड़ो से और अपनों से कटकर
मजाक का पात्र बन रहा है
आवारा हवाओ में बहक कर
दुर्गति और हास्य का पात्र बन रहा है
अपने वंश और परिवार को छोड़कर
कलंक का जीवन वो ढोह रहा है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #LEAFSFALLING शिकार वो आवारापन का हो रहा है
#nojotohindi

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