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उस रात के सन्नाटे में, जब चाँदनी ने चादर बिछाई, चा

उस रात के सन्नाटे में, जब चाँदनी ने चादर बिछाई,
चाँद अकेला बैठा था, तारों में थी उसकी परछाई।

मन की गहराइयों में झांकता, दिल को देता शांति अपार,
हर रूप में कहानी कहता, वो चाँद था बेहद प्यारा।

कभी मुरझाता, कभी मुस्कुराता, कभी खोता, कभी चमकता,
हर रात नया रंग दिखाता, चाँद का सौंदर्य सबको भाता।

रोशनी में बसा संसार, सपनों का जैसे बाजार,
हर मनुष्य ढूंढता यहां, अपने दिल का सच्चा प्यार।

रात की रानी के गहनों में, चमकता वो चाँद सुहाना,
हर दिल की धड़कन में, धड़कता चाँद का अफसाना।

इस नीरव रात में, चाँद हमें याद दिलाता है,
अंधकार के बीच भी, रोशनी का अस्तित्व होता है।

©Nirankar Trivedi
  उस रात के सन्नाटे में,
जब चाँदनी ने चादर बिछाई,
चाँद अकेला बैठा था,
तारों में थी उसकी परछाई।

मन की गहराइयों में झांकता,
दिल को देता शांति अपार,
हर रूप में कहानी कहता,

उस रात के सन्नाटे में, जब चाँदनी ने चादर बिछाई, चाँद अकेला बैठा था, तारों में थी उसकी परछाई। मन की गहराइयों में झांकता, दिल को देता शांति अपार, हर रूप में कहानी कहता, #Poetry #Wochaand

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