फ़ौजी और ख़त चिठ्ठी ये कागज नही अरमान है शब्द नही इसमें प्यार है अपनों को याद करने का मुकाम है, यह चिठ्ठी नही परिवार है एक फौजी के लिए संसार है रहा वर्ष भर वो अकेला इसके शब्दो से बाधाता सॉस का ढेल, कागज नही यह परिवार का प्यार है चिता वर्दी पहनके आम आदमी नही वीर जवान है यह चिठी नही उसकी तरक्की का फरमान है चिठ्ठी....... नही यह!! अपनों को अपनों के लिए भेजा गया ग़मगीन फरमान है। ये चिठ्ठी नही बस चिठ्ठी नही!!! चिठ्ठी ये कागज नही अरमान है शब्द नही इसमें प्यार है अपनों को याद करने का मुकाम है, यह चिठ्ठी नही परिवार है एक फौजी के लिए