हो दौर-ए-चलन जैसे बदन देखना तुम किसी से मिलना तो मन देखना हो दौर-ए-चलन जैसे #बदन देखना तुम किसी से मिलना तो #मन देखना तिमारदारियों से हासिल न होगा कुछ करना हो कुछ तो अपनी #लगन देखना इन कुर्सियों से नजरों हटाकर तुम जरा एक बार तो हालत–ए–#वतन देखना