"क्योंकि किसी की मोहब्बत ने बचा रखी है ये मरती हुई दुनिया.." (Caption) "कभी कभी मेरे दिल मे ख़्याल आता है कि जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए.." म्यूज़िक प्लेयर पर ये गाना सुनते सुनते अनायास ही ख़्याल आता है कि क्या वाक़ई इस गाने के बोल का अर्थ है कि हाँ तुम सिर्फ़ मेरे हो और मेरे साथ रहने के लिए ही बने हो! लेकिन क्या मोहब्बत हर पल साथ रहने का ही नाम है, पाने का ही नाम है? क्या ये संभव नहीं कि तुझको इसलिए बनाया गया है मेरे लिए ताकि तुम मुझको मुझसे ही मिला सको..मेरी किसी भी ख़ुशी में इस शिद्दत से शामिल हो सको कि जितना मैं भी नहीं सोच सकती ख़ुश होने का। क्या वाक़ई मोहब्बत निःस्वार्थ, निज सुख से अधिक साथी के सुख को बेचैन, शारीरिक न होकर मानसिक भी हो सकती है। क्या वाक़ई संभव है दो लोग मीलों को दूरी होने पर भी बरसों बरस बिना मिले गुज़ार दें और न मिल पाने की शिक़ायत न करें? क्या वो किताबों वाली मोहब्बत आज भी ज़िंदा है हक़ीक़त का रूप लेकर? तुमसे मिलने से पहले मुझे यही लगता था कि ये इस जन्म तो क्या किसी जन्म में संभव नहीं। मोहब्बत सिर्फ़ पाने का नाम है अगर नहीं पा सके तो रास्ते अलग होते चंद लम्हे भी नहीं लगते। पर तुमसे मिलकर मैंने समझा मोहब्बत ज़िद नहीं आज़ादी है "मोहब्बत थी इसलिए जाने दिया, ज़िद होती तो बाहों में होती…" मेरे बार बार बिखरने पर तुम्हारा मुझे समेट लेना, मेरे कहीं खो जाने पर उसी मोड़ पर मेरा इंतज़ार करना, मैं साथ रहूँ न रहूँ मुझसे मोहब्बत करते रहना मानो "मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का".. सारी दुनिया को अपनी चाहत सबसे अलग लगती है पर मैंने ये जाना है कि तुम्हारी मुझसे मोहब्बत दुनिया से परे है, जैसे कह रही हो "पता है , यहाँ से बहुत दूर, गलत और सही के पार, एक मैदान है.. मैं वहां मिलूंगा तुझे"