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क्या कहूँ, चिर शून्य हूँ मैं, मौन हूँ मैं,

क्या कहूँ, चिर शून्य हूँ मैं, मौन हूँ मैं,                                                    मौन हूँ मैं |                                                           कौन आया है मेरे एकांत और सूने जीवन में,             लेकर संग उमंगे -तरंगे भर गया चंचलता                  मेरे आकुल व शांत मन में,                                     हा !समय का चक्र देखो, कर गया  मुझको विरहणी        शेष केवल सिसकियाँ हैं अब तो बस मेरे रुदन में ||        क्या कहूँ,  चिर शून्य हूँ मैं, मौन हूँ मैं,                      मौन हूँ मैं ||                                                           नहीं कोई अब तमन्ना, न ही कोई कल्पना,               स्वयं से हुई मैं अपरचित,, कौन हूँ मैं??                  कौन हूँ मैं?                                                          क्या कहूँ चिर शून्य हूँ मैं, कौन हूँ मैं?                      कौन हूँ मैं? हाँ मौन हूँ मैं........ #कौन हूँ मैं?? #मौन हूँ मैं
क्या कहूँ, चिर शून्य हूँ मैं, मौन हूँ मैं,                                                    मौन हूँ मैं |                                                           कौन आया है मेरे एकांत और सूने जीवन में,             लेकर संग उमंगे -तरंगे भर गया चंचलता                  मेरे आकुल व शांत मन में,                                     हा !समय का चक्र देखो, कर गया  मुझको विरहणी        शेष केवल सिसकियाँ हैं अब तो बस मेरे रुदन में ||        क्या कहूँ,  चिर शून्य हूँ मैं, मौन हूँ मैं,                      मौन हूँ मैं ||                                                           नहीं कोई अब तमन्ना, न ही कोई कल्पना,               स्वयं से हुई मैं अपरचित,, कौन हूँ मैं??                  कौन हूँ मैं?                                                          क्या कहूँ चिर शून्य हूँ मैं, कौन हूँ मैं?                      कौन हूँ मैं? हाँ मौन हूँ मैं........ #कौन हूँ मैं?? #मौन हूँ मैं